Shayar ki Kalam se dil ke Arman...
मेरे मित्र अमित रसमन द्वारा रचित बहुत ही खूबसरत रचनाओं को मोहब्बत का नाम दिया है!
जिसका शिषर्क मैने मोहब्बत शायरी इन हिंदी रखा है!
साथ ही mohabbat shayari in images भी डाली है इसमें...
1.हम चराग अपनी रोशनी लुटाते हैं,
तब जाकर अंधेरे दूर जाते हैं।
सितारे जानते है अपने चमक की हद,
जब ना रहे तो खुद टूट जाते हैं।
2.अंदर बाहर दौड़ लगाती हो तुम?
दिल में क्यों आती जाती हो तुम?
मुझे छोड़कर तो
मुस्कुराती थी ना,
फिर क्यों अब मुँह बनाती हो तुम?
साथ उसके हो, बात मुझसे करती हो,
यार, कितना बेवक़ूफ़ बनाती हो तुम!
मुझसे कुछ तो सीखा होगा ना तुमने,
उससे तो वफ़ाएँ निभाती हो तुम?
सब से झूठ बोलता हुँ तुम्हारे बारे में,
सच कहूँ ? बहुत याद आती हो तुम।
इश्क़ और वफ़ा का ज्ञान देने वाली,
बाप को मोहब्बत सिखाती हो तुम?
2.इसी बात का दुःख मुझे उठाना पड़ता है,
वो मेरी नही है पर साथ निभाना पड़ता है।
मेरा ही दोस्त उसका शौहर बना हुआ है,
दोस्त से मुझको आँख चुराना पड़ता है।
मेरे पिछले शेर से कुछ तो समझो लोगों,
दोस्ती का कभी-कभी बड़ा हर्ज़ाना पड़ता है।
उसकी आँखों से यही शिकायत रहती है,
ना चाहते हुए भी आँख मिलाना पड़ता है।
इससे बड़ा और भला कौन सा ग़म होगा,
उसकी गली से रोज़ आना जाना पड़ता है।
मुझसे मिलना है? तो अपनी गाड़ी पीछे ले,
इसी रस्ते पर मेरा झोपड़ खाना पड़ता है।
मेरा ज़्यादा प्यार करना ले ना डूबे मुझे,
यही सोचकर उससे रूठ जाना पड़ता है।
रात भर तन्हाई में उसकी याद आती है,
और सुबह होते उसको भूल जाना पड़ता है।
अब जीने की कोई इच्छा नही है “रसमन”
कुछ रिश्ते बाक़ी हैं सो जीते जाना पड़ता है।
2.तेरे दर से जो खाली लौटेंगे तो आफ़त होगी,
मैकदे से जो होश में लौटेंगे तो आफ़त होगी।
तू एक दरिया सा कहीं बहता चला जाता है,
डूबकर इसमें जो ज़िंदा लौटेंगे तो आफ़त होगी।
तेरी दुनिया में हज़ारों आशिक़ो ने वजूद खो दिया,
हम जो हम बनकर ही लौटेंगे तो आफ़त होगी।
उसने चाँद की माँग करी थी मुझसे इक रोज़,
जो ख़ाली हाथ ही लौटेंगे तो आफ़त होगी।
मेरी अना को उसने झकझोर कर रख दिया “रसमन”
अब गर फिर उसी ओर लौटेंगे तो आफ़त होगी।
2.एक रास्ता है समंदर में ज़रा क़दम बढ़ाओ,
हिलेगा ये पर्वत भी ज़रा सा दम लगाओ।
पतवार का चप्पू टूट गया तो ग़म कैसा,
दोनो हाथ तो सलामत हैं ना नाव चलाओ।
तुमने आवारगी में गुज़ार दी तमाम ज़िंदगी,
जाते-जाते तो मेरे दोस्त कुछ नाम कमाओ।
तुम्हें जन्नत चाहिए थी ना? रास्ता बताऊँ?
जाओ कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाओ।
हर रात वो फ़ोन करके कहती है मुझसे,
“रसमन” कुछ लिखा है क्या? चलो सुनाओ!
2.आशिकों पर सलामती बरती नहीं जाती,
दिल जला भी दूं तो तीरगी नहीं जाती।
कुछ ऐसी अना की ज़िद है मुझको की,
वो कसम भी दे तो आवारगी नहीं जाती।
यार, एक हम हैं जो आंसू पिए जाते हैं,
एक तुम जिससे शराब भी पी नहीं जाती।
वो दोस्त जो अब दुश्मन बना हुआ है,
मेरे ज़हन से उसकी दोस्ती नहीं जाती।
तू क्यों लिखा करता है उस पर "रसमन"
उनसे तो एक ग़ज़ल भी पढ़ी नहीं जाती।
तिरगी अर्थ अंधेरा
2.वो जहां चाहता है चलो उधर जाएं,
आदतें छोड़ अपनी हम सुधर जाएं।
घर आकर दरवाज़ा खोला फिर सोचा,
कोई नहीं है अपना हम किधर जाएं।
वो जो शख़्स रूठा है ना, मेरा आईना था,
अब बिना उसके कैसे भला संवर जाएं।
अब जो तू जा चुका है तो दिल ने कहा,
"रसमन" कुछ बचा नहीं चलो मर जाएं।
3.किसने कहा, आदमी से प्यार करते हैं लोग,
सिर्फ़ पैसों पर ही ऐतबार करते हैं लोग।
सारा खेल तेरी जेब का है, जब तक भरी है, वल्लाह,
खाली हुई तो जीना यहां दुश्वार करते हैं लोग।
जिस चीज से जी जले जिस बात से गुस्सा आए,
वही काम यहां बार बार करते हैं लोग।
4.तुझको ही लिखा दस्तख़त में मैंने,
पाया कुछ नहीं पर बरकत में मैंने।
मौत को काफ़ी नज़दीक से देखा है,
उम्र गुज़ारी उसकी हिजरत में मैंने।
तस्वीर देख कर चूमता रहता हूं उसे,
हर रात गुज़ारी इसी कसरत में मैंने।
तकदीर लिखी जाती है तो कोई और क्यों लिखे,
कुछ पन्ने जोड़े अपनी किस्मत में मैंने।
सब रसमन रसमन करते हैं अब,
इक ग़ज़ल लिखी थी फुरसत में मैंने।
5.मैं तैराकी से वाक़िफ नहीं
डूबकर कहीं मर ना जाऊं
अपनी आंखों से कहो मुझे देखना बंद करें।