हेलो दोस्तों मैं आपका दोस्त दीपक बंसल एक बार फिर एक सेंसटिव मुद्दे पर अपनी राय लेकर आया हूँ ! जो बहुत लोगो को पसंद नहीं आएगी ! पर विचार रखना और उसे समझना हर आदमी
का अपना अधिकार है !
इस किसान आंदोलन ने पुरे देश को दो भागो में बाट दिया है ! जहाँ एक और लोग आज भी हिन्दू मुसलमान के मुद्दे पर मोदी भक्त हो रखे है ! वही देश के किसानों को गद्दार साबित करने में भी इन लोगो ने कसर नहीं छोड़ी !
किसान एक ऐसा आदमी जिसकी वजह से आज हमारे घर में रोटी आ रही है ! हम भर पेट खाना खा कर सो रहे है ! और वोही किसान कई महीनों से सड़क पर पड़ा है ! पर तब किसी का उस और ध्यान नहीं गया ! सरकार सिर्फ अपने फायदे के लिए अपना कानून उन पर थोपना चाह रही और है ! लेकिन लोकतांत्रिक देश में उसी जनता की आवाज को दबाया जा रहा है ! जिनको इस कानून का पालन करना है ! सुप्रीम कोर्ट भी बोल रही कानून वापिस लो ! पर सत्ता के नशे में चूर सरकार को इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता ! उन्हें किसानों को उग्र कर भगाना था ! आप खुद सोचिये जिस सरकार ने कश्मीर में बिना एक गोली चले ३७० लगवा दी ! वो क्या किसानों को उग्र होने से सकते थे ! लेकिन नहीं उन्होंने ये होने दिया ताकि हमारे देश की भोली जनता उनके खिलाफ हो जाये ! झंडा टांगने की तस्वीर को भी ऐसे लिया जैसे हमारा तिरंगा हटा के उन्होंने अपना परचम लगाया ! धार्मिक झंडे की आलोचना करता हूँ ! मगर आप बताये दोष किसका बड़ा है ! अगर आप की बात को कोई इतने दिनों से न सुने आप में भी रोष आ जयगा ! वो किसान है दिमाग़ से नहीं दिल से सोचता है ! और सरकार दिल से नहीं दिमाग़ से इसलिए सरकार अपने मनसूबे में कामयाब हो जाती मगर पूर्ण तय नहीं हो पायी ! आप सोचिये देश का नारा जय जवान जय किसान !
और सरकार ने किसान सामने जवान खड़ा ! वाह सही में मेरा देश बदल रहा है ! मैं खुद अपने देश का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता ! पर किसे पता अपमान किसान ने किया या उनके बीच छुपी सरकार ने ! वरना जो किसान ६२ दिन से उग्र नहीं हुए ! उस दिन ऐसा क्या हुआ जो उन्होंने तांडव मचा दिया ! बिकाऊ मीडिया
इस वाक्यांश पर ये शेर एक दम सत्य प्रतीक होता है !
गुबंद झंडा और सियासत,
तब भी थे जो आज भी है !
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