Shayar ki Kalam se dil ke Arman...
यहां मोहब्बत को पन्नों पर उकेरने की एक नायाब कोशिश मेरे मित्र brij om verru ने की है!
जो मोहब्बत से सरोबर है! तो पढ़िएगा और अपने सुझाव दीजियेगा!
यहां मोहब्बत शायरी images भी है!
1. बदलते वक़्त ने यारो सब कुछ बदल दिया!
गुलाब मोहब्बत का उसने कुचल दिया!
किसी रोज देखा था उसे खिड़की पे उसकी,
मैं आज भी क्यों उसकी गलियों को चल दिया!
2.दिलो जॉ कई हिस्सों में बँट गई शायद..
उसके दिल से मेरी चाहत भी घट गई शायद..
बहुत भुलक्कड़ है हमे भी भूल गया होगा,
उसके सामने से मेरी तस्वीर हट गई शायद..
जिसे देखो उसे कोई ना कोई छोड़ कर गया,
लगता है जमाने से मोहब्बत मिट गई शायद ..
मिलता है वो सबसे जब भी कोई चाहे ..
एक हमको ही मिलने की इजाजत नहीं शायद..
हमने सुना था पत्थरों को पिघलते है आंसू,
अब आसुओं की जमाने से इज्जत गई शायद..
वो का रहा है दूर क्यों दम घुट रहा मेरा,
उसके कदमों में मेरी सांसे लिपट गई शायद!
2. पानी में कोई तस्वीर बनाए बैठा हूं!
सरकती रेत की मुट्ठी दबाए बैठा हूं!
वो जा चुका है अब शहर छोड़ कर,
उसकी यादों की दुनिया बनाए बैठा हूं!
2.दिन गुजरता रहा शाम ढलती रही..
गुलाब मोहब्बत का उसने कुचल दिया!
किसी रोज देखा था उसे खिड़की पे उसकी,
मैं आज भी क्यों उसकी गलियों को चल दिया!
2.दिलो जॉ कई हिस्सों में बँट गई शायद..
उसके दिल से मेरी चाहत भी घट गई शायद..
बहुत भुलक्कड़ है हमे भी भूल गया होगा,
उसके सामने से मेरी तस्वीर हट गई शायद..
जिसे देखो उसे कोई ना कोई छोड़ कर गया,
लगता है जमाने से मोहब्बत मिट गई शायद ..
मिलता है वो सबसे जब भी कोई चाहे ..
एक हमको ही मिलने की इजाजत नहीं शायद..
हमने सुना था पत्थरों को पिघलते है आंसू,
अब आसुओं की जमाने से इज्जत गई शायद..
वो का रहा है दूर क्यों दम घुट रहा मेरा,
उसके कदमों में मेरी सांसे लिपट गई शायद!
2. पानी में कोई तस्वीर बनाए बैठा हूं!
सरकती रेत की मुट्ठी दबाए बैठा हूं!
वो जा चुका है अब शहर छोड़ कर,
उसकी यादों की दुनिया बनाए बैठा हूं!
2.दिन गुजरता रहा शाम ढलती रही..
दिल तड़पता रहा,जाँ निकलती रही...
ख्वाब दे कर तो वो बेवफा हो गये...
उनकी खवाहिश मेरे दिल में पलती रही...
2. ये कैसा वक़्त का मंजर है तूफान सा आने वाला है...
बेटी को जिसने लूटा है वो भी तो बहनों वाला है...
सड़को पर इनको दौड़ाओ,पत्थर से इनको मारो अब..
जिंदा जलना तय इनका है, सीने में ऐसी ज्वाला है..
3 है बहारे सभी लोग भी यहां, चैन फिर भी मुझे मिलता नहीं...
काम कितने भी हो छोड़ देता हूँ,मैं तेरी यादों से बाहर निकलता नहीं...
4.कौन कहता है सिर्फ मिलना ही मोहब्ब्त है..
आसमां को भी जमी से चाहत है...
दो किनारों के सामने आने से राहत है...
प्यार तो गुनाह है, यहां मिलने की कब इजाजत है....
5. कुछ ख्याल रात भर ऐसे आते रहे..
रात भर हमको तनहा जगाते रहे..
किसी नस्तर सा बो दे रहे थे जख्म...
अश्क आंखों में भी मुस्कुराते रहे...