Monday 15 November 2021

RAVINDERNATH TAGORE KI MASHUR KAVITAYE

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...


रबीन्द्रनाथ टैगोर (१९२५)
स्थानीय नाम রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর
जन्म 07 मई 1861
कलकत्ता (अब कोलकाता), ब्रिटिश भारत[1]l
मृत्यु 07 अगस्त 1941
कलकत्ता, ब्रिटिश भारत[1]
व्यवसाय लेखक, कवि, नाटककार, संगीतकार, चित्रकार
भाषा बांग्ला, अंग्रेजी
साहित्यिक आन्दोलन आधुनिकतावाद
उल्लेखनीय सम्मान साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार
जीवनसाथी मृणालिनी देवी (१ मार्च १८७४–२३ नवंबर १९०२)
सन्तान ५ (जिनमें से दो का बाल्यावस्था में निधन हो गया)
सम्बन्धी टैगोर परिवार





रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं – Rabindranath Tagore Poems in Hindi
चल तू अकेला!

तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…
चुप-चुप रहना सखी

चुप-चुप रहना सखी, चुप-चुप ही रहना,
कांटा वो प्रेम का,छाती में बाँध उसे रखना!
तुमको है मिली सुधा, मिटी नहीं अब तक उसकी क्षूधा,
भर दोगी उसमे क्या विष! जलन अरे जिसकी सब बेधेगी मर्म,
उसे खिंच बाहर क्यों रखना!!
पिंजरे की चिड़िया थी

रबिन्द्रनाथ टैगोर की कहानियाँ

पिंजरे की चिड़िया थी सोने के पिंजरे में
वन कि चिड़िया थी वन में
एक दिन हुआ दोनों का सामना
क्या था विधाता के मन में

वन की चिड़िया कहे सुन पिंजरे की चिड़िया रे
वन में उड़ें दोनों मिलकर
पिंजरे की चिड़िया कहे वन की चिड़िया रे
पिंजरे में रहना बड़ा सुखकर

वन की चिड़िया कहे ना…
मैं पिंजरे में क़ैद रहूँ क्योंकर
पिंजरे की चिड़िया कहे हाय
निकलूँ मैं कैसे पिंजरा तोड़कर

वन की चिड़िया गाए पिंजरे के बाहर बैठे
वन के मनोहर गीत
पिंजरे की चिड़िया गाए रटाए हुए जितने
दोहा और कविता के रीत

वन की चिड़िया कहे पिंजरे की चिड़िया से
गाओ तुम भी वनगीत
पिंजरे की चिड़िया कहे सुन वन की चिड़िया रे
कुछ दोहे तुम भी लो सीख

वन की चिड़िया कहे ना ….
तेरे सिखाए गीत मैं ना गाऊँ
पिंजरे की चिड़िया कहे हाय!
मैं कैसे वनगीत गाऊँ

वन की चिड़िया कहे नभ का रंग है नीला
उड़ने में कहीं नहीं है बाधा
पिंजरे की चिड़िया कहे पिंजरा है सुरक्षित
रहना है सुखकर ज़्यादा

वन की चिड़िया कहे अपने को खोल दो
बादल के बीच, फिर देखो
पिंजरे की चिड़िया कहे अपने को बाँधकर
कोने में बैठो, फिर देखो
वन की चिड़िया कहे ना…
ऐसे मैं उड़ पाऊँ ना रे
पिंजरे की चिड़िया कहे हाय
बैठूँ बादल में मैं कहाँ रे

ऐसे ही दोनों पाखी बातें करें रे मन की
पास फिर भी ना आ पाए रे
पिंजरे के अन्दर से स्पर्श करे रे मुख से
नीरव आँखे सब कुछ कहें रे

दोनों ही एक दूजे को समझ ना पाएँ रे
ना ख़ुद समझा पाएँ रे

दोनों अकेले ही पंख फड़फड़ाएँ
कातर कहे पास आओ रे

वन की चिड़िया कहे ना….
पिंजरे का द्वार हो जाएगा रुद्ध
पिंजरे की चिड़िया कहे हाय
मुझमे शक्ति नही है उडूँ ख़ुद
अनसुनी करके

अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर
अकेला बढ़ चल आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे।

देखकर तुझे मिलन की बेर
सभी जो लें अपने मुख फेर
न दो बातें भी कोई क रे
सभय हो तेरे आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे।

तो अकेला ही तू जी खोल
सुरीले मन मुरली के बोल
अकेला गा, अकेला सुन।
अरे ओ पथिक अभागे रे
अकेला ही चल आगे रे।

जायँ जो तुझे अकेला छोड़
न देखें मुड़कर तेरी ओर
बोझ ले अपना जब बढ़ चले
गहन पथ में तू आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे।

तो तुही पथ के कण्टक क्रूर
अकेला कर भय-संशय दूर
पैर के छालों से कर चूर।
अरे ओ पथिक अभागे रे
अकेला ही चल आगे रे।

और सुन तेरी करुण पुकार
अंधेरी पावस-निशि में द्वार
न खोलें ही न दिखावें दीप
न कोई भी जो जागे रे-
अरे ओ पथिक अभागे रे।

तो तुही वज्रानल में हाल
जलाकर अपना उर-कंकाल
अकेला जलता रह चिर काल।
अरे ओ पथिक अभागे रे
अकेला बढ़ चल आगे रे।
विपदाओं से रक्षा करो, यह न मेरी प्रार्थना

Rabindranath Tagore Poems in Hindi on Nature


विपदाओं से रक्षा करो-
यह न मेरी प्रार्थना,
यह करो : विपद् में न हो भय।
दुख से व्यथित मन को मेरे
भले न हो सांत्वना,
यह करो : दुख पर मिले विजय।
मिल सके न यदि सहारा,
अपना बल न करे किनारा; –
क्षति ही क्षति मिले जगत् में
मिले केवल वंचना,
मन में जगत् में न लगे क्षय।
करो तुम्हीं त्राण मेरा-
यह न मेरी प्रार्थना,
तरण शक्ति रहे अनामय।
भार भले कम न करो,
भले न दो सांत्वना,
यह करो : ढो सकूँ भार-वय।
सिर नवाकर झेलूँगा सुख,
पहचानूँगा तुम्हारा मुख,
मगर दुख-निशा में सारा
जग करे जब वंचना,
यह करो : तुममें न हो संशय।
रोना बेकार है

व्यर्थ है यह जलती अग्नि इच्छाओं की
सूर्य अपनी विश्रामगाह में जा चुका है
जंगल में धुंधलका है और आकाश मोहक है।
उदास आँखों से देखते आहिस्ता क़दमों से
दिन की विदाई के साथ
तारे उगे जा रहे हैं।

तुम्हारे दोनों हाथों को अपने हाथों में लेते हुए

और अपनी भूखी आँखों में तुम्हारी आँखों को
कैद करते हुए,
ढूँढते और रोते हुए, कि कहाँ हो तुम,
कहाँ ओ, कहाँ हो…
तुम्हारे भीतर छिपी
वह अनंत अग्नि कहाँ है…

जैसे गहन संध्याकाश को अकेला तारा अपने अनंत
रहस्यों के साथ स्वर्ग का प्रकाश, तुम्हारी आँखों में
काँप रहा है,जिसके अंतर में गहराते रहस्यों के बीच
वहाँ एक आत्मस्तंभ चमक रहा है।

अवाक एकटक यह सब देखता हूँ मैं
अपने भरे हृदय के साथ
अनंत गहराई में छलांग लगा देता हूँ,
अपना सर्वस्व खोता हुआ।
नहीं मांगता

Rabindranath Tagore Poems in Hindi on India


मेरा शीश नवा दो अपनी
चरण-धूल के तल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।

अपने को गौरव देने को
अपमानित करता अपने को,
घेर स्वयं को घूम-घूम कर
मरता हूं पल-पल में।

देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।
अपने कामों में न करूं मैं
आत्म-प्रचार प्रभो;
अपनी ही इच्छा मेरे
जीवन में पूर्ण करो।

मुझको अपनी चरम शांति दो
प्राणों में वह परम कांति हो
आप खड़े हो मुझे ओट दें
हृदय-कमल के दल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।
गर्मी की रातों में

गर्मी की रातों में
जैसे रहता है पूर्णिमा का चांद
तुम मेरे हृदय की शांति में निवास करोगी
आश्चर्य में डूबे मुझ पर
तुम्हारी उदास आंखें
निगाह रखेंगी
तुम्हारे घूंघट की छाया
मेरे हृदय पर टिकी रहेगी
गर्मी की रातों में पूरे चांद की तरह खिलती
तुम्हारी सांसें, उन्हें सुगंधित बनातीं
मरे स्वप्नों का पीछा करेंगी।
विविध वासनाएँ

Rabindranath Tagore Poems in Hindi on India


विविध वासनाएँ हैं मेरी प्रिय प्राणों से भी
वंचित कर उनसे तुमने की है रक्षा मेरी;
संचित कृपा कठोर तुम्हारी है मम जीवन में।
अनचाहे ही दान दिए हैं तुमने जो मुझको,
आसमान, आलोक, प्राण-तन-मन इतने सारे,
बना रहे हो मुझे योग्य उस महादान के ही,
अति इच्छाओं के संकट से त्राण दिला करके।
मैं तो कभी भूल जाता हूँ, पुनः कभी चलता,
लक्ष्य तुम्हारे पथ का धारण करके अन्तस् में,
निष्ठुर ! तुम मेरे सम्मुख हो हट जाया करते।
यह जो दया तुम्हारी है, वह जान रहा हूँ मैं;
मुझे फिराया करते हो अपना लेने को ही।
कर डालोगे इस जीवन को मिलन-योग्य अपने,
रक्षा कर मेरी अपूर्ण इच्छा के संकट से।।
मेरे प्यार की ख़ुशबू

मेरे प्यार की ख़ुशबू
वसंत के फूलों-सी
चारों ओर उठ रही है।
यह पुरानी धुनों की
याद दिला रही है
अचानक मेरे हृदय में
इच्छाओं की हरी पत्तियाँ
उगने लगी हैं

मेरा प्यार पास नहीं है
पर उसके स्पर्श मेरे केशों पर हैं
और उसकी आवाज़ अप्रैल के
सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है ।
उसकी एकटक निगाह यहाँ के
आसमानों से मुझे देख रही है
पर उसकी आँखें कहाँ हैं
उसके चुंबन हवाओं में हैं
पर उसके होंठ कहाँ हैं …
होंगे कामयाब

Famous Poems of Rabindranath Tagore in Hindi

होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।
दिन पर दिन चले गए



दिन पर दिन चले गए पथ के किनारे।
गीतों पर गीत अरे रहता पसारे।।
बीतती नहीं बेला सुर मैं उठाता।
जोड़-जोड़ सपनों से उनको मैं गाता।।
दिन पर दिन जाते मैं बैठा एकाकी।
जोह रहा बाट अभी मिलना तो बाकी।।
चाहो क्या रुकूँ नहीं रहूँ सदा गाता।
करता जो प्रीत अरे व्यथा वही पाता।।

FAIZ AHMAD FAIZ KE MASHUR SHER
KUMAR VISHWAS KE MASHUR SHER


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Tuesday 12 October 2021

ADA JAFRI KE FAMOUS SHER

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...


इनका जन्म उत्तर प्रदेश, भारत में 22 अगस्त 1924 में हुआ था। इनका बचपन का नाम अज़ीज़ जहान था। वे केवल तीन वर्स्ष की थी जब उन्के पिता, मौलवी बदरूल हसन की मृत्यु हो गयी थी और उनकी माँ ने उनका का पालन-पोषण किया। यह 12 वर्ष के उम्र में ही कविता बनाने लगीं। नुरून हसन जाफरी से लखनऊ में 29 जनवरी 1947 को शादी हो जाती है। शादी के बाद वह अपने पति के साथ लखनऊ से कराची चले जाते हैं। जहाँ नुरून अँग्रेजी और उर्दू समाचार पत्र में एक लेखक बन जाते हैं। 3 दिसम्बर 1995 को नुरून की मौत हो जाती है। इसके बाद वह कराची से टोरोंटो में चले जाती हैं। जहाँ वह उर्दू का प्रचार करती हैं।





हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना


इस क़दर तेज़ हवा के झोंके
शाख़ पर फूल खिला था शायद






आंसू जो रुका वो किश्त-ए-जां में
बारिश की मिसाल आ गया है


मिरा सुकूं भी मिरे आंसुओं के बस में था
ये मेहमां मिरी दुनिया निखारने आते






कुछ यादगार अपनी मगर छोड़ कर गईं
जाती रुतों का हाल दिलों की लगन सा है


सौ सौ तरह लिखा तो सही हर्फ़-ए-आरज़ू
इक हर्फ़-ए-आरज़ू ही मिरी इंतिहा है क्या






आलम ही और था जो शनासाइयों में था
जो दीप था निगाह की परछाइयों में था


तुम पास नहीं हो तो अजब हाल है दिल का
यूं जैसे मैं कुछ रख के कहीं भूल गई हूं






इस क़दर तेज़ हवा के झोंके
शाख़ पर फूल खिला था शायद


दिल के गुंजान रास्तों पे कहीं
तेरी आवाज़ और तू है अभी





Wednesday 15 September 2021

DAAG DEHLVI KE MASHUR SHER

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...




नवाब मिर्जा खाँ 'दाग़' , उर्दू के प्रसिद्ध कवि थे। इनका जन्म सन् 1831 में दिल्ली में हुआ। इनके पिता शम्सुद्दीन खाँ नवाब लोहारू के भाई थे। जब दाग़ पाँच-छह वर्ष के थे तभी इनके पिता मर गए। इनकी माता ने बहादुर शाह "ज़फर" के पुत्र मिर्जा फखरू से विवाह कर लिया, तब यह भी दिल्ली में लाल किले में रहने लगे। यहाँ दाग़ को हर प्रकार की अच्छी शिक्षा मिली। यहाँ ये कविता करने लगे और जौक को गुरु बनाया। सन् 1856 में मिर्जा फखरू की मृत्यु हो गई और दूसरे ही वर्ष बलवा आरंभ हो गया, जिससे यह रामपुर चले गए। वहाँ युवराज नवाब कल्ब अली खाँ के आश्रय में रहने लगे। सन् 1887 ई. में नवाब की मृत्यु हो जाने पर ये रामपुर से दिल्ली चले आए। घूमते हुए दूसरे वर्ष हैदराबाद पहुँचे। पुन: निमंत्रित हो सन् 1890 ई. में दाग़ हैदराबाद गए और निज़ाम के कविता गुरु नियत हो गए। इन्हें यहाँ धन तथा सम्मान दोनों मिला और यहीं सन् 1905 ई. में फालिज से इनकी मृत्यु हुई। दाग़ शीलवान, विनम्र, विनोदी तथा स्पष्टवादी थे और सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करते थे।

गुलजारे-दाग़, आफ्ताबे-दाग़, माहताबे-दाग़ तथा यादगारे-दाग़ इनके चार दीवान हैं, जो सभी प्रकाशित हो चुके हैं। 'फरियादे-दाग़', इनकी एक मसनवी (खंडकाव्य) है। इनकी शैली सरलता और सुगमता के कारण विशेष लोकप्रिय हुई। भाषा की स्वच्छता तथा प्रसाद गुण होने से इनकी कविता अधिक प्रचलित हुई पर इसका एक कारण यह भी है कि इनकी कविता कुछ सुरुचिपूर्ण भी है।




प्रेम के हर अंदाज को अपने शब्द देने वाले शायरों में दाग़ देहलवी का नाम महत्वपूर्ण है, प्रेम के हर रंग को उन्होंने अपनी शायरी में पिरोया।




1.ख़ुदा रखे मुहब्बत ने किये आबाद घर दोनों
मैं उनके दिल में रहता हूं वो मेरे दिल में रहते हैं

कोई नामो-निशां पूछे तो ऐ क़ासिद बता देना
तख़ल्लुस दाग़ है और आशिकों के दिल में रहते हैं

सितम ही करना, जफ़ा ही करना, निगाहे-उल्फ़त कभी न करना


उर्दू कविता, ग़ज़ल के अमिट हस्ताक्षर दाग़ देहलवी ने रोमांटिक शायरी को नई ऊंचाई दी। भाषा की स्वच्छता तथा प्रसाद गुण होने से इनकी कविता अधिक प्रचलित हुई पर इसका एक कारण यह भी है कि इनकी कविता कुछ सुरुचिपूर्ण भी है।

ये मजा था दिल्लगी का कि बराबर आग लगती
न तुझे क़रार होता न मुझे क़रार होता

सितम ही करना, जफ़ा ही करना, निगाहे-उल्फ़त कभी न करना
तुम्हें कसम है हमारे सिर की, हमारे हक़ में कभी न करना

जलवे मेरी निगाह में कौनो मकां के हैं



एक समय तक जब तमाम शायर फ़ारसी में लिखना ही शायर होने की महत्वपूर्ण पहचान मानते थे तब दाग़ साहब ने अपने शायराने मिज़ाज को फ़ारसी जकड़बंदी मुक्त किया और उस समय की आम बोलचाल की भाषा उर्दू के आसान शब्दों में पिरोया था।

जलवे मेरी निगाह में कौनो मकां के हैं
मुझसे कहां छुपेंगे वो ऐसे कहां के हैं

राह पर उनको लगा लाये तो हैं बातों में
और खुल जाएंगे दो-चार मुलाकातों में

क्या जुदाई का असर है कि शबे तन्हाई



उस समय यह बहुत कठिन काम था लेकिन दाग़ ने न सिर्फ न चुनौतियों का सामना किया बल्कि उर्दू शायरी पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।

क्या जुदाई का असर है कि शबे तन्हाई
तेरी तस्वीर से नहीं मिलती सूरत मेरी

लूटेंगी वो निगाहें हर कारवाने दिल को
जब तक चलेगा रस्ता ये रहजनी रहेगी

चाह की चितवन में आँख उस की शरमाई हुई


न जाना कि दुनिया से जाता है कोई
बहुत देर की मेहरबां आते-आते

आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद
बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता


चाह की चितवन में आँख उस की शरमाई हुई
ताड़ ली मज्लिस में सब ने सख़्त रुस्वाई हुई

ख़बर सुन कर मेरे मरने की वो बोले रक़ीबों से


ख़बर सुन कर मेरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
ख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में

तुम को चाहा तो ख़ता क्या है बता दो मुझ को
दूसरा कोई तो अपना सा दिखा दो मुझ को

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था

देखना हश्र में जब तुम पे मचल जाऊँगा
मैं भी क्या वादा तुम्हारा हूँ कि टल जाऊँगा

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YE BHI PADIYE :SHERO SHAYARI
                   KHAMOSH
                                                 EK GARIB BCHE KI HANSI



Thursday 26 August 2021

DEEWANE MIR KE FAMOUS SHER...

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...


ख़ुदा-ए-सुखन मोहम्मद तकी उर्फ मीर तकी "मीर" (1723 - 20 सितम्बर 1810) उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। मीर को उर्दू के उस प्रचलन के लिए याद किया जाता है जिसमें फ़ारसी और हिन्दुस्तानी के शब्दों का अच्छा मिश्रण और सामंजस्य हो। अहमद शाह अब्दाली और नादिरशाह के हमलों से कटी-फटी दिल्ली को मीर तक़ी मीर ने अपनी आँखों से देखा था। इस त्रासदी की व्यथा उनकी रचनाओं मे दिखती है। अपनी ग़ज़लों के बारे में एक जगह उन्होने कहा था-


हमको शायर न कहो मीर कि साहिब हमने
दर्दो ग़म कितने किए जमा तो दीवान किया

जन्म :१७२३

मृत्यु :१८१०




दीवान-ए-मीर से ‘मीर तक़ी मीर’ के 10 बड़े शेर


मीर तक़ी मीर उर्दू और फ़ारसी के एक अज़ीम शाइर हैं, उन्हें ख़ुदा-ए-सुख़न कहा जाता है। पेश हैं दीवान-ए-मीर से कुछ चुनिंदा शेर

मिरे सलीके से, मेरी निभी मुहब्बत में
तमाम उम्र, मैं नाकामियों से काम लिया

कुछ नहीं सूझता हमें, उस बिन
शौक़ ने हमको बेहवास किया




देगी न चैन लज़्ज़त-ए-ज़ख़्म उस शिकार को
जो खा के तेरे हाथ की तलवार, जाएगा


उनने तो मुझको झूंटे भी न पूछा एक बार
मैंने उसे हज़ार जताया, तो क्या हुआ




दिल की वीरानी का क्या मज़्कूर
यह नगर सौ मरतबा लूटा गया


सख़्त काफ़िर था जिनने पहले मीर
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया




मह ने आ सामने, शब याद दिलाया था उसे
फिर वह ता सुब्ह मिरे जी से भुलाया न गया


गुल ने हरचन्द से कहा, बाग़ में रह, पर उस बिन
जी जो उचटा, तो किसी तरह लगाया न गया




शहर-ए-दिल आह अजब जाय थी, पर उसके गए
ऐसा उजड़ा कि किसी तरह बसाया न गया


गलियों में अब तलक तो, मज़्कूर है हमारा
अफ़सान-ए-मुहब्बत, मशहूर है हमारा




दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें
था कल तलक दिमाग़ जिन्हें ताज-ओ-तख़्त का


मेरे रोने की हक़ीक़त जिसमें थी
एक मुद्दत तक वह काग़ज नम रहा



रात हैरान हूं, कुछ चुप ही मुझे लग गयी मीर
दर्द-ए-पिन्हां थे बहुत, पर लब-ए-इज़हार न था


आए अगर बहार तो अब हम को क्या सबा
हमसे तो आशियां भी गया और चमन गया

ये भी पढ़िए :Faiz Ahamad Faiz ke Famous Sher

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Wednesday 21 July 2021

AKBAR ALLAHBADI KE FAMOUS SHER

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...






नाम-अकबर अल्लाहाबादी
पूरा नाम-सैयद अकबर हुसैन
जन्म-16 नवंबर,1846
जन्म स्थान-बरा, अल्लाहाबाद,उत्तर प्रदेश,भारत
राष्ट्रीयता-भारतीय
धर्म-इस्लाम

वो चाहे ग़ज़ल हो या नज़्म हो या फिर शायरी की कोई भी विधा हो, अकबर इलाहाबादी का अपना ही एक अलग अन्दाज़ था। उर्दू में हास्य-व्यंग और मोहब्बत के लाज़वाब शायर थे और पेशे से इलाहाबाद में सेशन जज थे। पेश है अकबर इलाहाबादी के 20 चुनिंदा शेर-

अब तो है इश्क़-ए-बुताँ में ज़िंदगानी का मज़ा
जब ख़ुदा का सामना होगा तो देखा जाएगा

लोग कहते हैं कि बदनामी से बचना चाहिए
कह दो बे उसके जवानी का मज़ा मिलता नहीं

उन्हीं की बे-वफ़ाई का


उन्हीं की बे-वफ़ाई का ये है आठों-पहर सदमा
वही होते जो क़ाबू में तो फिर काहे को ग़म होता

इलाही कैसी कैसी सूरतें तू ने बनाई हैं
कि हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है

आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते
अरमान मिरे दिल के निकलने नहीं देते

होनी न चाहिए थी मोहब्बत मगर हुई


इश्क़-ए-बुताँ का दीन पे जो कुछ असर पड़े
अब तो निबाहना है जब इक काम कर पड़े

इस गुलिस्ताँ में बहुत कलियाँ मुझे तड़पा गईं
क्यूँ लगी थीं शाख़ में क्यूँ बे-खिले मुरझा गईं

होनी न चाहिए थी मोहब्बत मगर हुई
पड़ना न चाहिए था ग़ज़ब में मगर पड़े

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है


इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता

साँस की तरकीब पर मिट्टी को प्यार आ ही गया
ख़ुद हुई क़ैद उस को सीने से लगाने के लिए

हल्क़े नहीं हैं ज़ुल्फ़ के...


हल्क़े नहीं हैं ज़ुल्फ़ के हल्क़े हैं जाल के
हाँ ऐ निगाह-ए-शौक़ ज़रा देख-भाल के

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता

मरना क़ुबूल है मगर उल्फ़त नहीं क़ुबूल
दिल तो न दूँगा आप को मैं जान लीजिए

दुनिया का तलबगार नहीं हूँ


दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ

इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है

जब यास हुई तो आहों ने सीने से निकलना छोड़ दिया
अब ख़ुश्क-मिज़ाज आँखें भी हुईं दिल ने भी मचलना छोड़ दिया

हया से सर झुका लेना


हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना

हसीनों के गले से लगती है ज़ंजीर सोने की
नज़र आती है क्या चमकी हुई तक़दीर सोने की

किस नाज़ से कहते हैं वो झुँझला के शब-ए-वस्ल
तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते




1.ham aah bhī karte haiñ to ho jaate haiñ badnām

vo qatl bhī karte haiñ to charchā nahīñ hotā



2.ishq nāzuk-mizāj hai behad

aql kā bojh uThā nahīñ saktā



3.duniyā meñ huuñ duniyā kā talabgār nahīñ huuñ

bāzār se guzrā huuñ ḳharīdār nahīñ huuñ



4.hayā se sar jhukā lenā adā se muskurā denā

hasīnoñ ko bhī kitnā sahl hai bijlī girā denā



5.jo kahā maiñ ne ki pyaar aatā hai mujh ko tum par

hañs ke kahne lagā aur aap ko aatā kyā hai




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Monday 21 June 2021

WASIM BARELVI KE FAMOUS SHER

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...


ज़ाहिद हसन (वसीम बरेलवी) एक प्रसिद्ध उर्दू शायर हैं जो बरेली (उप्र) के हैं। इनका जन्म ८ फ़रवरी १९४० को हुआ था। आजकल बरेली कालेज, बरेली (रुहेलखंड विश्वविद्यालय) में उर्दू विभाग में प्रोफ़ेसर हैं।







1. apne chehre se jo zāhir hai chhupā.eñ kaise
terī marzī ke mutābiq nazar aa.eñ kaise



2.jahāñ rahegā vahīñ raushnī luTā.egā
kisī charāġh kā apnā makāñ nahīñ hotā





3.dukh apnā agar ham ko batānā nahīñ aatā
tum ko bhī to andāza lagānā nahīñ aatā


4.āsmāñ itnī bulandī pe jo itrātā hai
bhuul jaatā hai zamīñ se hī nazar aatā hai


5.vo jhuuT bol rahā thā baḌe salīqe se
maiñ e'tibār na kartā to aur kyā kartā



6.tujhe paane kī koshish meñ kuchh itnā kho chukā huuñ maiñ
ki tū mil bhī agar jaa.e to ab milne kā ġham hogā


7.raat to vaqt kī pāband hai Dhal jā.egī
dekhnā ye hai charāġhoñ kā safar kitnā hai


1.ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहींतेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी
ग़म और होता सुन के
ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम'
अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं




2.जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
जो मुझ में तुझ में
जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से
कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो





3.किसी ने रख दिए ममता-भरे दो हाथ क्या सर पर
मेरे अंदर कोई बच्चा बिलक कर रोने लगता है
किसी से कोई भी उम्मीद
किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखो
तो ये रिश्ता निभाना किस क़दर आसान हो जाए




4.कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को
वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता
उसी को जीने का हक़ है
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए





5.बहुत से ख़्वाब देखोगे तो आँखें
तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगी
दुख अपना अगर
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता




6.न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है
ये दुनिया है इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है
तुझे पाने की कोशिश में
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा


7.हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले
रात तो वक़्त की पाबंद है
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएग
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है


#MUNAWARRANA #FAMOUSSHER #SHAYARI




















Monday 7 June 2021

INVESTMENT

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...

हेलो दोस्तों कैसे है आप लोग मैं आपका दोस्त दीपक बंसल एक बार फिर आपके लिए लेके आया हूँ ! आपकी जरूरतों से संबंधित एक बहुत ही जरूरी मसला ! जो की आप लोग सोचते है की बिलकुल गैर जरूरी है !
आप लोग सोच रहे होंगे मैं पागल तो नहीं हो गया ! ऐसा कैसे हो सकता की जो चीज आपके लिए जरुरी है पर आप उसे गैर जरूरी समझते है !
इसका सीधा सा रिप्लाई है इंवेस्टमेंट एक ऐसी चीज जिसे आप करते अपने भविष्य के लिए है ! यानि ऐसे समय के लिए जब आपको उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो ! आपके बच्चों की शादी आपका बुढ़ापा ! बच्चो की पढ़ाई इन सबके लिए आप करते है ! इन्वेस्टमेंट ! इन्वेस्टमेंट करने के लिए जगह भी बहुत है ! पर क्या आप जब इन्वेस्टमेंट करते है ! उस समय कितना सोचते है इंवेस्टमेंट के बारे में ! आप खुद से ये सवाल जरूर कीजिये ! वास्तिविकता ये है की इन्वेस्टमेंट सिर्फ एक फॉर्मेलिटी की तरह आप कर देते है ! जबकि आपकी प्रेजेंट इनकम से भी बड़ा पार्ट आपको आपका इन्वेस्टमेंट कमा के दे सकता है ! पर आपके पास इन सबके लिए समय कहा ! आपको किसी ने जबरदस्ती अगर fd करा दी तो आप वो कर लेते है ! किसी ने म्यूच्यूअल फण्ड और किसी ने कोई जमींन दिला दी तो वो !
जबकि कभी आपने अपने दिमाग़ से सोचा आपको आपका पैसा कहा लगाना चाइये !
जो लोग fd करते है उन्हें म्यूच्यूअल फण्ड समझ नहीं आता ! जिन्हे म्यूच्यूअल फण्ड समझ आता है ! उन्हें fd समझ नहीं आता ! जबकि इतनी बार आपको बताया जाता है की आपका पूरा इन्वेस्टमेंट कभी एक  जगह नहीं होना चाइये !
फिर भी लोग वही गलती करते है ! और क्या आपको पता है अगर आपको एक जगह नहीं रखना तो कहा रखना है ! आपके पास हर तरह का इंवेस्टमेंट होना चाइये ! fd ,म्यूच्यूअल फण्ड, गोल्ड बांड realestate .पर अब कहा कितना रखना है ! ये कैसे समझे सबका अपनी अपनी जरूरत के हिसाब से रेश्यो बनानां चाइये ! इसके लिए कई फैक्टर जैसे की ऐज ,आपकी जरूरते सब पर निर्भर करता है ! जैसे की अगर मेरी आयु २२ साल है तो मुझे मेरे पैसे का बड़ा हिस्सा म्यूच्यूअल फण्ड,स्टॉक मार्केट  और रियल एस्टेट में लगाना चाइये और वही अगर मेरी आयु ६० प्लस है तो मुझे मेरा मैक्सिमम पैसा fd या गोल्ड, में रखना चाइये ! बाकि अगर आप मुझे अपनी जरूरत बताये तो में आपको बता सकता हूँ आपको कहा कितना पैसा रखना है !  तो आप किसी भी तरह की मदद के लिए मुझसे डायरेक्ट मेरे कांटेक्ट  no.+91  9549522228  पर   संपर्क कर सकते है ! 


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Friday 28 May 2021

YOUR LIFE YOUR DECISION...(your family suffer or not)

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...

हेलो दोस्तों आज मैं आपका दोस्त दीपक बंसल आपके लिए आपकी लाइफ के लिए इम्पोर्टेन्ट टॉपिक पर ये आर्टिकल लेकर  आया हूँ ! जो मुझे इस कोरोना  काल में महसूस हुआ की हम इंडियंस या भारतीय कुछ ज्यादा ही भगवान भरोसे है ! जबकि हम भूल जाते है की भगवान भी उन्ही की मदद करता है ! जो खुद अपनी मदद करते है !
इस कोरोना  कितने ही परिवारों के सर से पिता,बेटे,बेटी,माँ, बहन का साया छिन लिया ! जिनकी क्षतिपूर्ति तो कोई नहीं कर सकता ! पर उनके जाने के बाद जो सिर्फ अकेले ही पुरे परिवार  का सहारा थे ! जब वो नहीं रहे तो उस परिवार पर क्या गुजरती है ! आर्थिक रूप से   परिवार पूरा टूट जाता है ! देनदारियां , घर का खर्चा ,बच्चों की पढ़ाई  लोन की किस्तें , और उनके इलाज में लगे खर्चे से पूरा परिवार टूट जाता है !इन सवालो के जवाब किसी  के पास नहीं है और न तो कोई रिश्तेदार आपके काम आता है !  न ही कोई दोस्त काम आता है ! काम आता है तो आपके दवारा लिया गया डिसिशन जो आपने उस समय लिया जब आपको कोई एडवाइजर टर्म प्लान और हेल्थ insurance लेके आपके पास आया और उसे आपने क्या रेस्पॉन्स दिया जिन्होंने लिया !उनके परिवार आज भी आर्थिक रूप से सबल है ! और हर कार्य को कर पा रहे है ! जिन्होंने नहीं लिया उनका परिवार उनके जाने के बाद उनके जाने से ज्यादा आर्थिक रूप से टूट जाने से दुखी है ! इंसान की क्षतिपूर्ति कोई नहीं कर सकता पर जब जिम्मेदारियाँ बड़ी हो तो इंसान के जाने का दुःख और बड़ जाता है ! जब आप है तब एक छोटा सा अमाउंट insurance कंपनी को देना आपको अगर बेफिजूल खर्चा लगता है तो सिर्फ एक बार उस परिवार से मिलिए जिन्होंने अपने उस व्यक्ति को  खो दिया जो उनके परिवार का एक मात्र जरिया था कमाई का और उनके पास किसी तरह का हेल्थ और टर्म इन्शुरन्स नहीं था ! और दुर्भाग्य की बात है की  भारत जैसे देश में लोगो की जागरूकता आज भी इसे लेकर कम है !
मेरा मकसद आप लोगो में टर्म और हेल्थ इन्शुरन्स के प्रति जागरूकता लाना है ! आप एक बार इस पर विचार अवश्य करियेगा तब तक के लिए अलविदा फिर मिलेंगे किसी नए आर्टिकल के साथ !

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YE BHI PADIYE:SARKAR KE BS KA NHI AB CORONA
KUMAR VISHWAS SHAYARI IN HINDI!


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Tuesday 11 May 2021

SARKAR KE BS KA NHI AB CORONA

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...

नमस्कार दोस्तों में आपका दोस्त दीपक बंसल एक बार फिर सरकारी मुद्दों पर आपके लिए नया आर्टिकल लेके आया हूँ ! 

दोस्तों जैसा की सभी को पता है की इस बार की कोरोना की लहर ने हमसे हमारे कई अजीज दोस्त छीन लिए कई परिवार बेसहारा हो गए ! किसी का भाई किसी की बहिन किसी के पिता किसी की माँ न जाने कितने ही लोगो को इस महामारी ने छीन लिया ! और अभी भी खतरा टला नहीं ! मैं  जो  यह  सब लिख रहा हूँ ! कल मैं भी रहु या न रहु किसी को नहीं पता ! लेकिन इन सबके बीच एक अछि चीज क्या है ! आपको पता है ! उम्मीद एक ऐसी उम्मीद जो बड़ी से बड़ी परेशानी में भी आपको जीने का रास्ता दिखाती है ! और हम तो वैसे भी टिपिकल इंडियन है जो 10TH के बैट्समैन से भी उम्मीद करते है की वो जीता देगा ! तो फिर आज हम उस उम्मीद को क्यों छोड़ रहे है ! हर कोई डरा हुआ है ! डरना लाजमी है ! पर आप मुझे बताये डरने से सिर्फ अपने शरीर और दिमाग़ को मारने के अलावा आप क्या  कर रहे है !






डर एक ऐसी चीज है जो  दुनिया में 90 % सांपो में जहर नहीं होने के बाद भी आदमी  सांप के काटने के डर  से मर जाता है ! और इसी तरह का काम कोरोना में भी हो रहा है ! PRECAUTION लेना समझदारी है ! और डरना बेवकूफी अगर आप डरते रहेंगे तो आप जीने से पहले जीने का साथ छोड़ देंगे ! मेरे कई मित्र और कई रिश्तेदार यहां तक  की मेरी अपनी बहन इस बीमारी से जूझ रही थी तो  मुझे उन सबमे एक कॉमन चीज दिखी डर ! एक तो सबसे बड़ा फर्क जो लोग समझदारी और डर के बीच समझ नहीं पाते ! कुछ लोग PRECAUTION लेने को डर मानते है ! जबकि ये दोनों चीजे अलग अलग है !

एक चीज जो आप अपने दिल को समझाये की आप सिर्फ PRECAUTION ले बाकि सब ऊपर वाले अपर छोड़ दे !सिर्फ आपके अकेले के साथ ऐसा नहीं हो रहा ! 150 करोड़ की आबादी इससे जूझ रही है ! और सरकार की तरफ मत देखिये अगर वो आपके बारे में सोचते तो आज इतनी बुरी स्थिती आती ही नहीं ! हमारा देश दुनिया का अकेला ऐसा देश होगा ! जहाँ पंचायत चुनाव भी आम लोगो की जान से ज्यादा कीमती है !  इस बुरे वक़्त में ये मत सोचिये कौन आपके बारे में क्या सोच रहा है ! आप आपकी नजर में सही होने चाइये !  सब हौसला रखे और डरे नहीं ! ये वक़्त भी गुजर जायगा ! जो गज दुरी मास्क है जरूरी ! आपका परिवार झेल लेंगे सब वार !


#Tribute to Corona warriors from different parts of the world



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Monday 3 May 2021

CORONA KA HAHAKAR SARAKAR NE KIYA VISHWASHGHAT

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...

हेलो दोस्तों कैसे है आप सभी इस नकारात्मक दौर में मैं आपका दोस्त दीपक बंसल आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ ! और सरकारों के गैरजिमेदारना  रवैये पर फिर एक आर्टिकल लेकर आया हूँ !

दोस्तों कोरोना महामारी ने फिर एक बार हमारे सामने ऐसी िस्थति खड़ी कर दी है ! की घर के बहार जैसे कोई जॉम्बीज़ बैठे हो ! और वो हमे डरा रहे है ! पर फिर भी रोटी की वजह से लोग बहार जा रहे है ! मौत से दो हाथ कर रहे है ! पर क्या आपको नहीं लगता ये सब रुक सकता था ? हर आदमी को जीने का अधिकार था ? या हम सब सिर्फ वोट बैंक है ! जब भी देश में ऐसी परिस्थति आती है ! तो सबसे देश का सबसे कमजोर वर्ग इसका शिकार होता है ! तो फिर उस कमजोर वर्ग को क्यों धकेला गया ! इस आग में सिर्फ वोट बैंक के लिए ! 

मैं सिर्फ  मोदी ही नहीं गहलोत को भी इसके लिए दोषी मानता हूँ ! इतना बड़ा हुजुम इखट्टा किया अपनी शक्ति दिखाने और लोगो को मारने के लिए आज बंगाल की िस्थति इन लोगो ने इतनी बुरी कर दी की ! वहां वास्तिविक आकड़े बताये ही नहीं जा सकते कोरोना के ! लेकिन इन्हे क्या इन्हे तो वोट लेने है चाहए इनकी लाश से क्यों न लेने पड़े ! ऐसा ही हाल राजस्थान  में उपचुनाव में हुआ ! जिसका असर दिख रहा है ! उत्तराखंड में कुम्भ कराना जरूरी है ! २० लाख लोग कुम्भ नहीं जायेगे तो पृथ्वी पर प्रलय आ जायगा ! आज पृथ्वी का पता नहीं देश में तो आगया ! उसके बाद भी राजनीती बीजेपी राज्यों को सब सेवाएं अधिक और दूसरे राज्यों को कम ! क्यों भाई बाकि लोग इस देश के नहीं है क्या ! लोग मर रहे है पर राजनीती बा दस्तूर जारी है ! इन लोगो की राजनीती ने देश को कब्र पर ला खड़ा किया है ! अब इनका स्टेटमेंट आ  रहा है !जनता ने गलतिया की सब  बेपरवाह हो  गए ! हा हो गए पर जनता के पास गलत मैसेज पहुंचाया किसने की सब ठीक है ! आपकी रैलियों और धार्मिक आयोजनों ने ना ! जनता जो पहले इनकी बात सुनती थी वो भी नहीं सुन रही इन सबका एक ही कारन की इन लोगो ने जनता के साथ विश्वासघात किया ! 

परन्तु मैं एक बात कहना चाहता हूँ ! इन्होंने विश्वासघात किया ये लोग हमारा साथ भी नहीं दे रहे ! पर जान किसकी है ! सिर्फ एक यही सवाल आप खुद से कीजिये ! मानता हूँ कुछ लोगो का बहार निकलना जरूरी है उनके बिना हमारी सभी जरूरी सेवाय भी बंद हो जायगी और कईको रोजी रोटी के लिए जाना पड़ रहा है ! पर जो घर में रुक सकते है वो तो रुके ! बाकि अब खुद समझदार है ! 


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Friday 2 April 2021

ELECTION GARIBI PAR SARKAR MAST

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...

हेलो दोस्तों मैं आपका दोस्त दीपक बंसल एक बार  के लिए लेके आया हूँ ! एक ऐसा मुद्दा जो हमेशा हमारे देश में चलता रहता है ! और उसके लिए कोई महामारी कोई इमोशंस कुछ मायने नहीं रखते है ! ऐसा समय जब धर्म, जाती सब याद आ जाता है ! और वो मुद्दा है इलेक्शन !  
ELECTION GARIBI PAR SARKAR MAST



हमारा देश दुनिया का शायद अकेला ऐसा देश होगा जहा सरकार ५ साल के लिए बनती है ! पर इलेक्शन पुरे साल होते रहते है ! कभी इसके चुनाव कभी उसके चुनाव ! और उन सबके ब्रांड अम्बेसटर मोदी भाई ! समझ नहीं आता ये आदमी काम कब करता है ! आधे टाइम तो ये इलेक्शन रैलियों में ही व्यस्त रहता है !

बचे कूचे टाइम में विदेश यात्राओं से फुर्सत नहीं है ! भाई को ! बिचारे का एक साल कोरोना ने खराब कर दिया ! वरना ५ ,१० और देश के चक्कर लगा लेते भाईसाब ! पर मोदी जी है बड़े तगड़े आदमी ऊपर से पीएमओ में जो बैठे है वो और भी महान है ! कोई भी अच्छी चीज का क्रेडिट लेना हो  ये हमने किया और कोई गलत हुआ तो ये तो कांग्रेस ने किया ! बड़े ही चतुर है हमारे मोदी जी ! NPA कम होने का क्रेडिट ले लिया मोदी जी ने जबकि अभी  सुप्रीम कोर्ट के आर्डर बदलने के बाद के डाटा तो आये नहीं ! में समझाता हूँ ! NPA किस बला का नाम है ! NPA का सरल शब्दो में अर्थ है पैसा डूबना वो भी बैंक का ! इस बार कोरोना में ये तेजी से बढ़ने वाले थे बढ़ंगे भी परन्तु हमारे मोदी जी ने सुप्रीम कोर्ट से ऐसे फैसले दिलवाये की पुरे साल में डूबा पैसा डूबा हुआ माना  नहीं जायगा ! और उसके आधार पर इन्होने क्रेडिट ले लिया की भाई हमने NPA कम करा दिया जबरदस्त टोपीबाज आदमी हो यार ! और अब न जाने हमारे कोर्ट को कहा से अकल आ गयी उन्होंने ये निर्णय वापिस ले लिया ! अब बैंक के NPA का कच्चा चिठा जल्द ही आप लोगो के सामने आ जायगा ! तब क्रेडिट लेने देखते है कौनसी सरकार आती है ! और हो सकता है मोदी जी कह दे ये भी कांग्रेस  पुराने ७०  साल की वजह से हुआ है हमने तो बचा लिए थे ! 

बाकि वैसे  और तो क्या कहे कोरोना से निपटने के लिए सबसे अच्छा  प्रदर्शन करने  लेने वाले मोदी जी कभी ये नहीं बता   रहे ! पूरी दुनिया में कोरोना  गरीब बड़े और हमारे यह कितने चलो में बताता हूँ ! और क्या है परसेंट के हिसाब से बताउगा वरना भक्त कुछ और भी कह सकते है ! पुरे विश्व में १३ करोड़ गरीब  बडे और भारत में इन १३ करोड़ में से 7.5  करोड़ बड़े ! यानि 57 परेसेन्ट सिर्फ भारत में बड़े ! जबकि हमारी जनसंख्या विश्व की 18 परसेंट है !  और सिर्फ गरीब ही नहीं 1 लाख RS महीना आये वाले जो 70 साल में 12 करोड़ हुए थे ना एक साल में 8. 5 करोड़  रह गए ! परन्तु अभी तइ क इसकी जिम्मेदारी मोदी जी ने किसी के सर नहीं  माड़ी है ! क्योंकि बिकाऊ मीडिया को   इस बारे  में बोलने से रोक दिया गया है ! और मोदी जी के किये गए बिना पूर्व सुचना के  LOCKDOWN की तारीफ चल रही है ! और जहा इलेक्शन है  वहा मजाल है कोरोना पहुंच जाये ! वहा  मोदी जी के जुमले सुनके ही कोरोना भाग जाता है ! चलो अब क्या ही तारीफ करे इंडिया के सबसे फेकू पॉपुलर आदमी  की ! कभी और करेंगे ! तब तक के लिए विदा !

ये भी पढ़िए :JISMANI RISHTE

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Wednesday 31 March 2021

Faiz Ahamad Faiz ke Famous Sher

Shayar ki Kalam se dil ke Arman

Faiz Ahamad Faiz ke Famous Sher



जन्म की तारीख और समय: 13 फ़रवरी 1911, नारोवाल जिला, पाकिस्तान
मृत्यु की जगह और तारीख: 20 नवंबर 1984, लाहौर, पाकिस्तान
पत्नी: एलिस फ़ैज़ (विवा. 1941–1984)
शिक्षा: गवर्नमेन्ट कॉलेज, पंजाब विश्वविद्यालय, Govt Murray College Sialkot, ओरिएंटल कालेज
फ़िल्में: द डे शैल डॉन, आगमन

फ़ैज अहमद फ़ैज़ जब यह कहते हैं कि ‘मुझसे पहली सी मुहब्बत मेरे मेहबूब न मांग’ तो सबसे पहला सवाल यही उठता है कि वह शख़्स कौन है, जो अपनी महबूबा को अपनी मजबूरी बताते हुए कह रहा है,

लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजै
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजै


क्या यह सिर्फ़ फ़ैज अहमद फ़ैज की आवाज़ है? क्या यह सिर्फ़ उन्हीं का ख़्याल या नज़रिया है? शायद नहीं। यह आवाज़ संभवतः हमारे युगबोध की आवाज़ है, हमारे समय की सच्चाईयों और बदलते ज़रुरत की आवाज़ है। यह वह आवाज़ है जो साहित्य के मयारों को बदलने की बात करती है, उसके उद्देश्यों को बड़ा करके देखने की माँग करती है। लेकिन यह बदलाव इतना अचानक और आक्रामक भी नहीं है कि समूची परम्परा से हमारा नाता ही टूट जाए, बल्कि इसमें पुराने के स्वीकार के साथ उसे नया करने का इसरार है।




और भी दुख हैं, ज़माने में मुहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं, वस्ल की राहत के सिवा


रवायत के प्रति रुमान तो इतना कि ग़ालिब और दाग़ के मिसरे भी फ़ैज के यहां मिलते हैं लेकिन वे भी यहाँ आकर अपने नये मायने पाते हैं -

तुम्हें क्या कहूँ कि क्या है
शब-ए-ग़म बुरी बला है
हमें ये भी था ग़नीमत
जो कोई शुमार होता
हमें क्या बुरा था मरना
अगर एक बार होता

या फिर

जो गुज़रते थे 'दाग़' पर सदमे
अब वही कैफ़ियत सभी की है

यह सभी की कैफ़ियत की सोच ही फैज़ को आवाम की अवाज़ का शायर बनाती है, जब भी कहीं दमन, शोषण था एकाधिकार का ख़तरा दिखाई देता है, बरबस यह निकल ही आता है-

बोल, कि लब आजा़द हैं तेरे
बोल, जुबाँ अब तक तेरी है
तेरा, सुतवाँ जिस्म है तेरा
बोल, कि जाँ अब तक तेरी है




फ़ैज की शायरी व्यक्तिगत हताशा, इश्क़ या उम्मीदी की शायरी नहीं है, यह व्यापक जनता के मोहभंग की आवाज़ है, जो आज़ादी की सुबह भी यह पूछ सकती है -

ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं


आजा़दी और इसके फलसफे को लेकर यह आलोचनात्मक रवैया फ़ैज के प्रगतिशील रूझान के कारण ही पैदा हुआ था, यह गौरतलब है कि जब 1936 में सज्जाद जहीर, मुल्कराज आनंद आदि लखनऊ में प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना कर रहे थे, तो उसी साल फैज ने भी उसकी एक शाखा पंजाब में स्थापित की थी, यह उनके इसी रुझान का सबूत है कि वे कहते हैं -

निसार मैं तेरी गालियों के ऐ वतन कि जहां
चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले
जो कोई चाहने वाला तवाफ़ को निकले
नज़र चुरा के चले, जिस्म ओ जाँ बचा के चले


फैज़ अहमद फै़ज एक योद्धा शायर हैं। मज़लूमों शोषितों की लड़ाई लड़ने वाले योद्धा ही नहीं बल्कि 1944 से 1947 तक वे ब्रिटिश भारतीय सेना के भी अंग रहे। सेना में उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल का ओहदा हासिल था। लेकिन उनकी लड़ाई के मोर्चे अलग थे। जो आवाम के हक और हकूक की बात करता हो, वह भला किसी का ख़ून बहाने की नौकरी क्योंकर करे?

सजे तो कैसे सजे क़त्ल-ए-आम का मेला
किसे लुभाएगा मेरे लहू का वावैला
मेरे नज़ार बदन में लहू ही कितना है
चराग़ हो कोई रौशन न कोई जाम भरे





वह तो अपने वतन से भी यह पूछ सकता है कि,

तुझको कितनों का लहू चाहिये ऐ अर्ज-ए-वतन
जो तिरे आरिज़ –ए-बेरंग को गुलनार करें
कितनी आहों से कलेजा तिरा ठंडा होगा
कितने आँसू तेरो सहराओं को गुलज़ार करें

लेकिन सामूहिकता के अनुभवों और जनता की आवाज़ बन जाने के बावजूद फैज़ की शायरी में ऐसा कुछ तो मौजूद ही है जो फै़ज़ का बिल्कुल अपना है। फै़ज़ की चेतना फ़ैज़ के व्यक्तित्व से अलग नहीं है। फ़ैज़ का जीवन उनका स्वभाव, उनका अक्खड़पन और निराला अंदाज़ उनकी शायरी का भी मिज़ाज है।

इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन
देखे हैं हमने हौसले परवरदिगार के
दोनों जहान तेरी मुहब्बत में हार के
वह जा रहा है कोई शबे-ग़म गुज़ार के
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के


उनके इस मिज़ाज को सत्ता कभी तोड़ नहीं सकी । उनपर मुकदमे चले, उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाला गया, उन्हें देश निकाला दिया गया। अपने वतन से दूर अंजाने प्रदेश में भी उन्होंने अपने मिज़ाज का सौदा नहीं किया -

हर मंजिल-ए-ग़ुरबत पे गुमाँ होता है घर का
बहलाया है हर गाम बहुत दर-ब-दरी ने
ये जामा-ए-सद-चाक बदल लेने में क्या था
मोहलत ही न दी 'फ़ैज़' कभी बख़िया-गरी ने





1980 के दशक में फ़ैज़ भारत आये थे। इलाहबाद विश्वविद्यालय के बुलाने पर। वहां इलाहाबाद के साहित्यकारों ने उपन्यासकार विभूति नारायण राय के आवास पर उनकी सोहबत का लुत्फ़ उठाया था। वहां लोगों ने उनके ज़ुबान से उनके नग़में सुने। उस महफ़िल में कहानीकार रवीन्द्र कालिया भी थे। उनका मानना था कि फ़ैज़ जितने बड़े और शानदार शायर थे, अपनी नज़्मों को वे उतने ही बुरे अंदाज़ में पढ़ते थे। हो सकता है कालिया जी की बात सच हो, लेकिन वह पढ़ने के अंदाज़ की बात है, जहां तक जीने के अंदाज़ की बात है तो फ़ैज़ का अंदाज़े बयां यह है -

माना कि ये सुनसान घड़ी सख़्त घड़ी है
लेकिन मेरे दिल ये तो फ़क़त इक ही घड़ी है
हिम्मत करो जीने को तो इक उम्र पड़ी है

(लेखक हिंदी के जाने-माने कथाकार हैं)




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Sunday 28 March 2021

KUMAR VISHWAS SHAYARI IN HINDI!

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...

KUMAR VISHWAS SHAYARI IN HINDI!


दोस्तों मैं आपका दोस्त दीपक बंसल आपके लिए हिंदी के जाने मने कवी डॉक्टर कुमार विश्वास के ऐसे संजीदा शेर लेकर उपस्थित हुआ हूँ ! जो आपके दिल को छू लेगी !

जन्म की तारीख और समय: 10 फ़रवरी 1970 (आयु 51 वर्ष), पिलखुवा
राष्ट्रीयता: भारतीय
पत्नी: मंजू शर्मा
बच्चे: Kuhu Vishwas, Agrata Vishwas
शिक्षा: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ (2000), चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ (1993)



दोस्तो आज का आर्टिकल "Famous Kumar Vishwas Poetry, Shayari" से लिया गया है और इस पोस्ट मे आप पढ़ सकते है जानेमाने हिन्दी कवि डा0 कुमार विश्वास की एक से बढ कर एक शायरियां और कविताओं की चंद लाइनों को जो आप को दिवाना बना देगी.




1. Panahon Main Jo Aaya Ho, Us Par War Kya Karna
Jo Dil Hara Hua Ho,
Us Par Adhikar Kya Karna

Mohabbt Ka Maza To Dubne Ki
Kashmkash Main Hain
Jo Ho Malum Gahraayi,
To Dariya Paar Kya Karna.


पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो,
उस पे फिर से अधिकार क्या करना

मोहब्बत का मज़ा तो,
डूबने की कशमकश में है.
जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना.


2. Mere Jeene Marne Main,
Tumhara Maam Aayega.

Main Saans Rok Lu Phir Bhi,
Yahi ilzaam aayegaa.

Har Ek Dhdkan Main Jab Tum Ho,
To Phir Apradh Kya Mera.

Agar Radha Pukarengi,
To Ghanshyam Aayega.


मेरे जीने मरने में,
तुम्हारा नाम आएगा.

मैं सांस रोक लू फिर भी,
यही इलज़ाम आएगा.

हर एक धड़कन में जब तुम हो,
तो फिर अपराध क्या मेरा,

अगर राधा पुकारेंगी,
तो घनश्याम आएगा.




3.Kahi Par Jag Liye Tum Bin,
kahi par so liye tum bin

Bhari mahfil main bhi aksar,
Akele ho liye tum bin

Ye pichle chand varshon ki,
kamai saath hain apne

Kabhi to hans liye tum bin,
Kabhi to ro liye tum bin.

कहीं पर जग लिए तुम बिन,
कहीं पर सो लिए तुम बिन.

भरी महफिल में भी अक्सर,
अकेले हो लिए तुम बिन

ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन.


कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी



4. Girebaan chaak karna kya hain,
Seena aur mushkil hain


Har ek pal muskura ke,
Ashq peena aur mushkil hain


Humari badnaseebee ne,
Hume itna shikhaya hain


Kisi ke ishq main marne se,
Jeena aur mushkil hain.

गिरेबां चाक करना क्या है,
सीना और मुश्किल है.

हर एक पल मुस्कुरा के,
अश्क पीना और मुश्किल है.

हमारी बदनसीबी ने,
हमें इतना सीखाया है.

किसी के इश्क में मरने से,
जीना और मुश्किल है.




5.Yah chadar sukh ki mola kyu,
Sada choti banata hain.

Seera koi bhi thamo,
Dusra khud chut jaata hain.

Tumhare saath tha to main,
zamaane bhar main ruswa tha.

Magar ab tum nahi ho to,
Zamana sath gata hain.

यह चादर सुख की मोल क्यू,
सदा छोटी बनाता है.

सीरा कोई भी थामो,
दूसरा खुद छुट जाता है.

तुम्हारे साथ था तो मैं,
जमाने भर में रुसवा था.

मगर अब तुम नहीं हो तो,
ज़माना साथ गाता है.




6. Koi kab tak mahaz soche,
Koi kab tak mahaz gaaye.


Llaahi kya ye mumkin hai ki,
Kuchh aesa bhi ho jaaye.


Mera mehtaab uski raat ke,
Aagosh mein pighale.


Main uski neend mein jaagun,
Wo mujhme ghul ke so jaaye.

कोई कब तक महज सोचे,
कोई कब तक महज गाए.

ईलाही क्या ये मुमकिन है कि
कुछ ऐसा भी हो जाऐ.

मेरा मेहताब उसकी रात के
आगोश मे पिघले

मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ
वो मुझमे घुल के सो जाऐ.




7.Tujh ko gurur-e-husn hai
Mujh ko surur-e-fan hai.

Dono.n ko khud pasandgi ki
Lat buri bhii hai.


Tujh mein chhupa ke khud ko
Main rakh doon magar mujhe.


Kuchh rakh ke bhul jaane ki
Aadat buri bhi hai.


तुझ को गुरुर ए हुस्न है
मुझ को सुरूर ए फ़न.

दोनों को खुद पसंदगी की
लत बुरी भी है.

तुझ में छुपा के खुद को
मैं रख दूँ मग़र मुझे.

कुछ रख के भूल जाने की
आदत बुरी भी है.

कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी



8.Har ik khone mein har ik paane mein
Teri yaad aati hai,

Namak aankho.n mein ghul jaane mein
Teri yaad aati hai.

Teri amrat bhari laharon ko
Kya maaloom Gangan Maa,


Samndar paar viraane mein
Teri yaad aati hai.

हर इक खोने में हर इक पाने में
तेरी याद आती है

नमक आँखों में घुल जाने में
 तेरी याद आती है.

तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है.

Famous Kumar Vishwas Poetry, Shayari



9=Wo jo khud mein se kam nikalten hain
Unke zahno.n mein bam nikalte hain


Aap mein kaun kaun rahta hai ?
Hum mein to sirf hum nikalte hain.

वो जो खुद में से कम निकलतें हैं,
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं.

आप में कौन-कौन रहता है ?
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं.





10. Ghar se nikala hun to nikala hai ghar bhi sath mere
Dekhna ye hai ki manzil pe kaun pahunchega ?


Meri kashti mein bhawar bandh ke duniya khush hai
Duniya dekhegi ki sahil pe kaun pahunchega.

घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?

मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा.

Best Love Shayari By Dr. Kumar Vishwas



11. Sakhiyon santg rangne ki dhamki sunkar kya
Dar jaaunga?



Teri gali mein kya hoga ye maaloom hai par aaunga,


Bhig rahi hai kaaya saari khajuraahon ki murat si,
Is darshan ka aur pradarshan mat karna,
Mar Jaaunga.

सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर
क्या डर जाऊँगा?

तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,

भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना, 
मर जाऊँगा.


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12. Ummidon ka phata paiharan,
Roz-roz silna padata hai,


Tum se mile ki koshish mein,
Kis kis se milna padta hai.
उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,

तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है.

Famous Kumar Vishwas Poetry, Shayari



13. Ghar se nikala hun to nikala hai ghar bhi saath mere
Dekhna ye hai ki manjil pe kaun pahunchega ?


Meri kashti mein bhawar bandh ke duniya khush hai,
Duniya dekhegi ki saahil pe kaun pahunchega.

घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे,
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?

मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है,
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा .

कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी



14. Himate-E-Raushani badh jati hai ,
Hum chirago ki in hawaon se,


Koi to jaa ke bata de us ko,
Chain badhta hai badduaon se.

हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है,
हम चिरागों की इन हवाओं से,

कोई तो जा के बता दे उस को,
चैन बढता है बद्दुआओं से.




15.Ajab hai kaayda Duniya-E-Ishq ka Maula
Phool murjhaye tab us par nikhar aata hai


Ajeeb baat hai tabiyat khraab hai jab se
Mujh ko tum pe kuchh jyaada pyar aata hai.

अजब है कायदा दुनिया ए इश्क का मौला
फूल मुरझाये तब उस पर निखार आता है

अजीब बात है तबियत ख़राब है जब से
मुझ को तुम पे कुछ ज्यादा प्यार आता है.




16. Tumhara khwab jaise gham ko apnane se darta hai
Tumhari aankhn ka aanson khushi pane se darta hai


Ajab hai lazzate gham bhi, jo mera dil abhi kal tak
Tere jaane se darta tha wo ab aane se darta hai.

तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है

अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है.




17.Ek pahaare sa meri ungaliyon pe tahara hai
Teri chuppi ka sabab kay hai ?
Ise hal kar de

Ye fakat lafz hai to rok de rasta in ka
Aur agar sach hai to phir baat muqmml kar de.

एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है?
इसे हल कर दे

ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे.

Famous Kumar Vishwas Poetry, Shayari



18.Basti basti ghor udasi,
Parvat parvat sunapan.


Man heera bemol lut gaya,
Ghis ghs reeta man chandan.


Is dharti se us ambar tak,
Do hi cheez gajab ki hain.


Ek to tera bholapan hain,
Ek mera deewanapan.

बस्ती – बस्ती घोर उदासी,
पर्वत – पर्वत सुनापन.

मन हीरा बेमोल लुट गया,
घिस -घिस रीता मन चंदन.

इस धरती से उस अम्बर तक,
दो ही चीज़ गजब की है.

एक तो तेरा भोलापन है,
एक मेरा दीवानापन.

"कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी"



19. Samdar peer ka andar hain,
Lekin ro nahi sakta.



Yah aansoo pyar ka moti hain,
Isko kho nahi sakta.


Meri chahat ko dulhan tu,
Bana lena magar sun le.


Jo mera ho nahi paya,
Wo tera ho nahi sakta.

समंदर पीर का अन्दर है,
लेकिन रो नहीं सकता

यह आंसू प्यार का मोती है,
इसको खो नहीं सकता.

मेरी चाहत को दुल्हन तू,
बना लेना मगर सुन ले.

जो मेरा हो नहीं पाया,
वो तेरा हो नहीं सकता.

All Shayari Of Dr. Kumar Vishwas In Hindi



20.Swayam se door ho tum bhi,
swayam se door hain hum bhi.

Bhaut mashhur ho tum bhi,
Bahut mashur hai hum bhi.

Bade magroor ho tum bhi,
Bade magroor hai hum bhi.


Atha majbur ho tum bhi,
Atha majbur hai hum bhi.

स्वयं से दूर हो तुम भी, स्वयं से दूर है हम भी
बहुत मशहुर हो तुम भी, बहुत मशहुर है हम भी

बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर है हम भी
अत : मजबुर हो तुम भी, अत : मजबुर है हम भी.

Kumar Vishwas Latest Shayari



21. Humare sher sunkar bhi jo khamosh itna hain,
Khuda jaane guroor e husan main madhosh kitna hain.


Kisi pyale se pucha hai surahi ne sbab may ka,
Jo khud behosh ho wo kya bataye hosh kitna hain.

हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है,
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है.

किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है.






22.Na paane ki khushi hain kuch,
Na khone ka hi kuch gam hain.



Ye daulat aur shoharat sirf,
Kuch jakhmon ka marham hain.


Azab si kashmkash hain,
Roz jine, roz marne maine.


Mukkamal zindgi to hain,
Magar puri se kuch kam hain.

ना पाने की खुशी है कुछ,
ना खोने का ही कुछ गम है.

ये दौलत और शोहरत सिर्फ,
कुछ ज़ख्मों का मरहम है.

अजब सी कशमकश है,
रोज़ जीने, रोज़ मरने में.

मुक्कमल ज़िन्दगी तो है,
मगर पूरी से कुछ कम है.



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23.Is udaan par ab sharminda,
Main bhi hoon aur tu bhi hain.



Aasman se gira parinda,
Main bhi hoon aur tu bhi hain.


Chut gayi raste main,
Jeene marne ki sari kasme.


Apne apne haal main zinda,
Main bhi hoon aur tu bhi hain.

इस उड़ान पर अब शर्मिंदा,
में भी हूँ और तू भी है.

आसमान से गिरा परिंदा,
में भी हूँ और तू भी है.

छुट गयी रस्ते में,
जीने मरने की सारी कसमे.

अपने - अपने हाल में जिंदा,
में भी हूँ और तू भी है.

Best Love Shayari By Dr. Kumar Vishwas



24.Tumhare paas hoo.n lekin jo duri hai,
Samjhta hun.



Tumhaare bin meri hasti adhoori hai,
Samjhta hun.


Tumhe.n main bhool jaaungaa ye
Mumkin hai nahi.n lekin.


Tumhi ko bhoolna sabse jaroori hai
Samjhta hun.

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है,
समझता हूँ.

तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है,
समझता हूँ.

तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये
मुमकिन है नहीं लेकिन.

तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है,
समझता हूँ.

Kumar Vishwas Latest Shayari



25. Phalak pe bhor ki dulhan yoon saz ke aai hai,
Ye din ugaa hai ya sooraj ke ghar sagaai hai,


Abhi bhi aate hai aansoon meri kahani mein,
Kalam mein shukrae-khuda hai ki Raushnaai hai .

फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है,

अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में,
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि रौशनाई है.

All Shayari Of Dr. Kumar Vishwas In Hindi



26. Kalam ko khoon mein khud ke dubota hoon to hungama,
Gireban apna aansoon mein bhigota hoon to hungama,


Nahin mujh par bhi jo khud ki khabar wo hai zamaane par,
Main hansta hoon to hungama,
main rota hoon to hungama.

क़लम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा,
गिरेबां अपना आँसू में भिगोता हूँ तो हंगामा.

नहीं मुझ पर भी जो खुद की ख़बर वो है ज़माने पर,
मैं हँसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.





27. Bhramar koi kumudani par machal baitha to hungama
Humare dil main koi khwab pal baitha to hungama


Abhi tak doob kar sunte the sab kissa mohabbt ka
Main kisse ko hakikat main badal baitha to hungama.

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा

अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा.




28.Wo jiska teer chupke se jigar ke paar hota hain
Wo koi gaer kya apna hi ristedaar hota hain


Kisi se apne dil ki baat tu kahna na bhule se
Yaha khat bhi thodi der main akhbaar hota hain.

वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है

किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है.


कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी



29. Koi patthar ki murat hain, kisi patthr main murat hain
Lo humne dekh lee duniya, jo itni khubsurat hain


Zamana apni samjhe par, mujhe apni khabr yah hain
Tujhe meri jarurat hain. mujhe teri jarurat hain.
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है

जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है.




30.Koi deewan kahta hain, koi pagal samjhta hain
Magar dharti ki baicheni to, bas badal samjhta hain


Main tumse dur kitna hun, tu mujhse dur kitni hain
Ye tera dil samjhta hain, ya mera dil samjhta hain.

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी तो, बस बादल समझता है

मैं तुमसे दूर कितना हु , तू मुझसे दूर कितनी है
ये तेरा दिल समझता है , या मेरा दिल समझता है.




31.Hame maloom hai do dil judaai sah nahi,n sakte
Magar rasme-wafa ye hai ki ye bhi kah nahi sakte


Zara kuchh der tum un saahillon ki cheekh sun bhar lo


Jo laharo.n mein to doobe hai,
Magar sang bah nahi.n sakte


हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते

जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते.




32. Usi ki taraha mujhe saara zamaana chaahe
Wo mera hone se jyaada mujhe paana chaahe


Meri palkon se fisal jaata hai chehara tera
Ye musafir to koi thikana chaahe.

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे

मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा
ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे.

All Shayari Of Dr. Kumar Vishwas In Hindi



33.Tum amar raag-mala bano to sahi,
Ek paawan shiwala bano to sahi,


Log padh lenge tum se sabak pyaar ka,
Preet ki paathshaala bano to sahi.

अमर राग-माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,

लोग पढ़ लेंगे तुम से सबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही.




34= Badalne ko in aankhon ke manjar kam nahi badal,
Tumhaari yaad ke mausam, humare gham nahin badle,


Tum agale janm mein hum se milogi, tab to manogi,
Zamaane aur sadi ki is badal mein hum nahin badale.

बदलने को तो इन आखोँ के मंज़र कम नहीं बदले ,
तुम्हारी याद के मौसम,हमारे ग़म नहीं बदले ,

तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी,तब तो मानोगी ,
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले.

Kumar Vishwas Latest Shayari



35. Mohabbat ek ahsaason ki pawan si kahani hain
Kabhi Kabira deewana tha, kabhi Meera deewani hain


Yaha sab log kahte hain, meri aankhon mein paani hain
Jo tum samjho to moti hain, jo na samjho to paani hain.

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है

यहाँ सब लोग कहते है, मेरी आँखों में पानी है
जो तुम समझो तो मोती है, जो ना समझो तो पानी है.


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