Monday 21 June 2021

WASIM BARELVI KE FAMOUS SHER

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...


ज़ाहिद हसन (वसीम बरेलवी) एक प्रसिद्ध उर्दू शायर हैं जो बरेली (उप्र) के हैं। इनका जन्म ८ फ़रवरी १९४० को हुआ था। आजकल बरेली कालेज, बरेली (रुहेलखंड विश्वविद्यालय) में उर्दू विभाग में प्रोफ़ेसर हैं।







1. apne chehre se jo zāhir hai chhupā.eñ kaise
terī marzī ke mutābiq nazar aa.eñ kaise



2.jahāñ rahegā vahīñ raushnī luTā.egā
kisī charāġh kā apnā makāñ nahīñ hotā





3.dukh apnā agar ham ko batānā nahīñ aatā
tum ko bhī to andāza lagānā nahīñ aatā


4.āsmāñ itnī bulandī pe jo itrātā hai
bhuul jaatā hai zamīñ se hī nazar aatā hai


5.vo jhuuT bol rahā thā baḌe salīqe se
maiñ e'tibār na kartā to aur kyā kartā



6.tujhe paane kī koshish meñ kuchh itnā kho chukā huuñ maiñ
ki tū mil bhī agar jaa.e to ab milne kā ġham hogā


7.raat to vaqt kī pāband hai Dhal jā.egī
dekhnā ye hai charāġhoñ kā safar kitnā hai


1.ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहींतेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी
ग़म और होता सुन के
ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम'
अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं




2.जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
जो मुझ में तुझ में
जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से
कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो





3.किसी ने रख दिए ममता-भरे दो हाथ क्या सर पर
मेरे अंदर कोई बच्चा बिलक कर रोने लगता है
किसी से कोई भी उम्मीद
किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखो
तो ये रिश्ता निभाना किस क़दर आसान हो जाए




4.कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को
वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता
उसी को जीने का हक़ है
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए





5.बहुत से ख़्वाब देखोगे तो आँखें
तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगी
दुख अपना अगर
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता




6.न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है
ये दुनिया है इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है
तुझे पाने की कोशिश में
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा


7.हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले
रात तो वक़्त की पाबंद है
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएग
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है


#MUNAWARRANA #FAMOUSSHER #SHAYARI




















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