Shayar ki Kalam se dil ke Arman...
इस पोस्ट में मैने social life pe likhne का प्रयास किया है आपके दिल तक पहुंच जाए तो मुझे सूचित कीजिएगा
1.इस अनजान दुनिया में कुछ अपने है!
इन शहरी रास्तों में सिर्फ सपने है!
जाता हूं जब गाँव के रस्ते,
वहां सब अपने ही अपने है!
2.कचरा सुनकर गंदगी का एहसास आता है ।
पर वास्तविकता में कचरा एहसान फरामोश लोगो का प्रतिबिंब नजर आता है।
जैसे इस्तेमाल कर छोड देते हैं लोग लोगो को,वैसे ही कचरा इस्तेमाल के बाद सड़कों पर नजर आता है।
ये वही कचरा है साहेब जो कभी किसी की जरुरत का सामान था ,आज सड़कों की शोभा बड़ाता है।
ये कचरा नहीं है साहेब ये लोगो की जरूरत का अंत नजर आता है। अंत नजर आता है।
No comments:
Post a Comment