Shayar ki Kalam se dil ke Arman...
मेरे मित्र जिनका की प्यार से नाम मान ये रचनाएं उन्हीं की है!
जिन्हे आज मै प्रकाशित कर रहा !
पढ़िएगा.....,,
1.गज दो गज जमीन नही मुझे मक़ान सारा चाहिए
मंजिले तुम्हारी छोटी है मुझे ये जाहां सारा चाहिए
चाँद सितारे पसन्द हैं तुम्हे, चलो तुम रख लो इन्हें
मेरे ख्वाब थोड़े बड़े है मुझे आसमान सारा चाहिए
2.वो एक जाम उस रात का सबको बेहोश कर गया।
एक मुसाफिर ना बचा महफ़िल में जो उस रात घर गया।।
मकसद कभी था ही नही मेरा तुझे पाने का "मान"।
वो तो तेरे होने का अहसास था जो जीने की वजह बन गया।।
![](https://instagram.fjai3-1.fna.fbcdn.net/vp/33cffda9c606248a3aa388a716d18357/5D85FDD6/t51.2885-15/sh0.08/e35/s640x640/59133172_135163027635382_35540085472076544_n.jpg?_nc_ht=instagram.fjai3-1.fna.fbcdn.net)
2. वो चांद पूर्णिमा की रात का मैने खुद को सितारा लिख दिया!
वो मीठा समंदर मेरी प्यास का मैने खुद को किनारा लिख दिया!
वो मतवाली मदमस्त "बरखा" थी,सावन के नाम हो गया!
वो धूप कड़ी दोपहर की, खुद को जून सारा लिख दिया!
![](https://instagram.fjai3-1.fna.fbcdn.net/vp/fb346ef8696fe98ca0ae159a6db47042/5D86140B/t51.2885-15/sh0.08/e35/s640x640/59429328_2394659937433461_1132179266498299406_n.jpg?_nc_ht=instagram.fjai3-1.fna.fbcdn.net)
No comments:
Post a Comment