Shayar ki Kalam se dil ke Arman...
GULZAR SAHAB KI BEHTRIN SHAYARI |
INTRODUCTION
BRON : 18/08/1934
FULL NAME : SAMPOORAN SINGH KALRA
BRON : 18/08/1934
FULL NAME : SAMPOORAN SINGH KALRA
PLACE : PRESENT PUNJAB (PAKISTAN) BRITISH INDIA
SPOUSE : RAAKHEE
PARENTS : MAKHAN SINGH KALRA, SUJAN KAUR
बहुत से लोगो को लगता है गुलजार एक मुस्लिम नाम है परन्तु गुलजार का जन्म एक सिख परिवार में हुआ था !
गुलजार साहब जैसा उम्दा शायर जो हर शेर में जिंदगी की किताब खोल दे ऐसे मकबूल शायर हमारे सामने आज मौजूद है ! ये हम लोगो का सौभाग्य है !
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GULZAR SHAYARI ON JINDGAIगुलज़ार शायरी जिंदगी पर
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं
___Gulzar Sahab
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं
___Gulzar Sahab
3.सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है
___Gulzar Sahab
YE BHI PDIYE : RAHAT INDORI FAMOIUS SHAYARI
4.मैं दिया हूँमेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं
___Gulzar Sahab
5.बहुत अंदर तक जला देती हैं,
___Gulzar Sahab
6.एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं
___Gulzar Sahab
GULZAR SHAYARI ON MOHABBAT
गुलजार शायरी मोहब्बत पर
8.घर में अपनों से उतना ही रूठो
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके
___Gulzar Sahab
9.कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते
10.तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं
___Gulzar Sahab
11.कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़,
12.कैसे करें हम ख़ुद को
13.तन्हाई की दीवारों पर
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा हैं
___Gulzar Sahab
YE BHI PDIYE : MIRZA GHALIB
GULJAR SHAYARI ON LOVE
गुलजार शायरी लव पर
14.शोर की तो उम्र होती हैं
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते
___Gulzar Sahab
16.तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे…
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे
___Gulzar Sahab
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
तुम्हारा क्या तुम्हें तो राहे दे देते हैं काँटे भी ,
मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
__Gulzar Sahab
GULZAR POETRY
गुलजार कविता
18.देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रा
देखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,
ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.
काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,
ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,
जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा
__Gulzar Sahab
19.शब्द नए चुनकर कविता हर बार लिखू
उन दो आँखों में अपना सारा प्यार लिखू
वो में विरह की वेदना लिखू या मिलन की झंकार लिखू
कैसे इन चंद लफ्जो में दोस्तों अपना सारा प्यार लिखू
20.ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं
21.एक सो सोलह चाँद की रातें
एक तुम्हारे कंधे का तिल
गीली मेहँदी की खुश्बू
झूठ मूठ के वादे
सब याद करादो, सब भिजवा दो
मेरा वो सामान लौटा दो
__Gulzar Sahab
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