Friday 8 May 2020

शिक्षक, गुरु या लवर

Shayar ki Kalam se dil ke Arman...


   

                                                  शिक्षक, गुरु या  लवर 



इस हैडिंग को पढ़ने  के बाद आप लोगो के मन में आक्रोश तो पैदा हुआ ही होगा ! और जब भी में कभी इस तरह के आर्टिकल डालता हूँ ! लोगो के सवाल आते है ! जिनका जवाब पाकर उन्हें भी मेरे आर्टिकल की सच्चाई समझ आ जाती है!
एक समय होता जब शिक्षा देने वाले गुरु कहलाते थे ! क्योकि वह अपनी शिक्षा अपने विधार्थियो में बिना किसी भेद भाव और लालच के पूर्ण श्रद्धा के साथ पहुंचाते थे ! और विद्यार्थी  भी शिक्षा  का ग्रहण उसी ईमानदारी के साथ किया करते थे !  
फिर दौर बदला गुरु शिक्षक बन गए क्योकि अब उनकी शिक्षा का मोल लगने लग गया क्योकि उन्होंने अपने गुरु का पद त्याग के शिक्षक का पद धारण कर लिया ! महाभारत में भी गुरु द्रौणा चार्य के आखिर समय में कृष्ण  ने कहा था ! आपकी इस दुर्गति कारण आपका गुरु होना नहीं ! आपका शिक्षक होना है ! आपने अपनी शिक्षा हस्तिनापुर को बेच दी और उसका मूल्य 
लगा दिया ! यही कारण रहा आपको उस मूल्य की कीमत अधर्मियों के साथ रहकर चुकानी पड़ी ! अब आपको अपने प्राण त्याग देने चाइये !

चलो ये महाभारत काल नहीं है ! आज कल के माहौल के हिसाब से शिक्षक बनना भी ठीक है ! परन्तु शिक्षक तक रहते तब भी ठीक था ! ये आज कल किस प्रथा की तरफ अग्रसर हो गए है ! शिक्षक जहाँ उन्होंने अपने शिक्षक का लिबास भी उतार कर लवर, रोमियो जैसे लिबास पहन लिए है ! और इस मर्यादित कार्य को अपनी घिनौनी भावनाओं से कलंकित कर रहे है ! सभी शिक्षक इस तरह के नहीं है ! परन्तु जो है !आप सोचिये ! आपकी बच्चियाँ ऐसे शिक्षकों से शिक्षा ग्रहण कर रही है ! जो उनके बाल मन का गलत फायदा उठा रहे है ! बच्चियों के  साथ  शिक्षक आज कल लवर की तरह पेश आ रहे  है ! और उनके मानसिक विकास को कुंठित कर रहे है ! वो तो बच्चियाँ है ! सही गलत का उन्हें ज्ञान नहीं और ये नयी नयी किशोरावस्था उन्हें सही गलत समझने भी नहीं देती !  पर शिक्षक एक ऐसा आदरणीय पेशा जिसकी सम्पूर्ण छवि ऐसे अभद्र और कुंठित मानसिकता वाले लोगो ने धूमिल कर दी है ! जिन्हें भगवान से ऊपर दर्जा दिया जाता था ! आज उनका कोई भी विद्यार्थी उनका सम्मान  मन से नहीं करता ! या तो वो उनकी चापलूसी करता है ! ताकि उन्हें अच्छे नंबर मिल सके ! या कोई और स्वार्थ ! मैं यहाँ ऐसे किसी शिक्षक का नाम नहीं लूँगा ! परन्तु ऐसे बहुत है ! और आप भी जानते होंगे ! और तो और इस गलत कार्य को दुसरो को ऐसे बताते है जैसे वो बहुत ही अच्छा काम  कर रहे हो! हमारे कार्य में ग्लैमर है ! इतना ही ग्लैमर है तो क्या वो खुद की बच्चियों के साथ ऐसा होने देंगे ! नहीं ना ! फिर किस तरह आप अपने को सही बता सकते है ! मेरे इस लेख के बाद बहुत से शिक्षक मुझसे सवाल करेंगे!


शिक्षक, गुरु या  लवर
DARD


पर मेरी सभी  शिक्षको  और उन सभी लोगो से जो इस बारे में जानते है अनुरोध है उन्हें समझाये इस तरह का गृह्णीत काम न करे ! और अभिभावक अपने बच्चों से इस तरह की बात खुल कर करे ताकि वह आपको इस तरह के गलत कार्यो के बारे में बता पाए ! मैं किसी तरह के गलत शब्दो का प्रयोग यहाँ  नहीं कर रहा ! पर वो शिक्षक जो अपनी मर्यादा भूल चुके है ! उनके लिए मेरा यही सन्देश है ! आप भी किसी के  अभिभावक है ! ये जो आप ओरो की बच्चियों के साथ  कर रहे है आपके बच्चों के साथ भी हो सकता है !


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