Shayar ki Kalam se dil ke Arman...
इस हैडिंग को पढ़ने के बाद आप लोगो के मन में आक्रोश तो पैदा हुआ ही होगा ! और जब भी में कभी इस तरह के आर्टिकल डालता हूँ ! लोगो के सवाल आते है ! जिनका जवाब पाकर उन्हें भी मेरे आर्टिकल की सच्चाई समझ आ जाती है!
पर मेरी सभी शिक्षको और उन सभी लोगो से जो इस बारे में जानते है अनुरोध है उन्हें समझाये इस तरह का गृह्णीत काम न करे ! और अभिभावक अपने बच्चों से इस तरह की बात खुल कर करे ताकि वह आपको इस तरह के गलत कार्यो के बारे में बता पाए ! मैं किसी तरह के गलत शब्दो का प्रयोग यहाँ नहीं कर रहा ! पर वो शिक्षक जो अपनी मर्यादा भूल चुके है ! उनके लिए मेरा यही सन्देश है ! आप भी किसी के अभिभावक है ! ये जो आप ओरो की बच्चियों के साथ कर रहे है आपके बच्चों के साथ भी हो सकता है !
शिक्षक, गुरु या लवर
इस हैडिंग को पढ़ने के बाद आप लोगो के मन में आक्रोश तो पैदा हुआ ही होगा ! और जब भी में कभी इस तरह के आर्टिकल डालता हूँ ! लोगो के सवाल आते है ! जिनका जवाब पाकर उन्हें भी मेरे आर्टिकल की सच्चाई समझ आ जाती है!
एक समय होता जब शिक्षा देने वाले गुरु कहलाते थे ! क्योकि वह अपनी शिक्षा अपने विधार्थियो में बिना किसी भेद भाव और लालच के पूर्ण श्रद्धा के साथ पहुंचाते थे ! और विद्यार्थी भी शिक्षा का ग्रहण उसी ईमानदारी के साथ किया करते थे !
फिर दौर बदला गुरु शिक्षक बन गए क्योकि अब उनकी शिक्षा का मोल लगने लग गया क्योकि उन्होंने अपने गुरु का पद त्याग के शिक्षक का पद धारण कर लिया ! महाभारत में भी गुरु द्रौणा चार्य के आखिर समय में कृष्ण ने कहा था ! आपकी इस दुर्गति कारण आपका गुरु होना नहीं ! आपका शिक्षक होना है ! आपने अपनी शिक्षा हस्तिनापुर को बेच दी और उसका मूल्य
लगा दिया ! यही कारण रहा आपको उस मूल्य की कीमत अधर्मियों के साथ रहकर चुकानी पड़ी ! अब आपको अपने प्राण त्याग देने चाइये !
चलो ये महाभारत काल नहीं है ! आज कल के माहौल के हिसाब से शिक्षक बनना भी ठीक है ! परन्तु शिक्षक तक रहते तब भी ठीक था ! ये आज कल किस प्रथा की तरफ अग्रसर हो गए है ! शिक्षक जहाँ उन्होंने अपने शिक्षक का लिबास भी उतार कर लवर, रोमियो जैसे लिबास पहन लिए है ! और इस मर्यादित कार्य को अपनी घिनौनी भावनाओं से कलंकित कर रहे है ! सभी शिक्षक इस तरह के नहीं है ! परन्तु जो है !आप सोचिये ! आपकी बच्चियाँ ऐसे शिक्षकों से शिक्षा ग्रहण कर रही है ! जो उनके बाल मन का गलत फायदा उठा रहे है ! बच्चियों के साथ शिक्षक आज कल लवर की तरह पेश आ रहे है ! और उनके मानसिक विकास को कुंठित कर रहे है ! वो तो बच्चियाँ है ! सही गलत का उन्हें ज्ञान नहीं और ये नयी नयी किशोरावस्था उन्हें सही गलत समझने भी नहीं देती ! पर शिक्षक एक ऐसा आदरणीय पेशा जिसकी सम्पूर्ण छवि ऐसे अभद्र और कुंठित मानसिकता वाले लोगो ने धूमिल कर दी है ! जिन्हें भगवान से ऊपर दर्जा दिया जाता था ! आज उनका कोई भी विद्यार्थी उनका सम्मान मन से नहीं करता ! या तो वो उनकी चापलूसी करता है ! ताकि उन्हें अच्छे नंबर मिल सके ! या कोई और स्वार्थ ! मैं यहाँ ऐसे किसी शिक्षक का नाम नहीं लूँगा ! परन्तु ऐसे बहुत है ! और आप भी जानते होंगे ! और तो और इस गलत कार्य को दुसरो को ऐसे बताते है जैसे वो बहुत ही अच्छा काम कर रहे हो! हमारे कार्य में ग्लैमर है ! इतना ही ग्लैमर है तो क्या वो खुद की बच्चियों के साथ ऐसा होने देंगे ! नहीं ना ! फिर किस तरह आप अपने को सही बता सकते है ! मेरे इस लेख के बाद बहुत से शिक्षक मुझसे सवाल करेंगे!
DARD |
पर मेरी सभी शिक्षको और उन सभी लोगो से जो इस बारे में जानते है अनुरोध है उन्हें समझाये इस तरह का गृह्णीत काम न करे ! और अभिभावक अपने बच्चों से इस तरह की बात खुल कर करे ताकि वह आपको इस तरह के गलत कार्यो के बारे में बता पाए ! मैं किसी तरह के गलत शब्दो का प्रयोग यहाँ नहीं कर रहा ! पर वो शिक्षक जो अपनी मर्यादा भूल चुके है ! उनके लिए मेरा यही सन्देश है ! आप भी किसी के अभिभावक है ! ये जो आप ओरो की बच्चियों के साथ कर रहे है आपके बच्चों के साथ भी हो सकता है !
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oh.. nice contant
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